E-Commerce क्या है ?

इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (Electronic Commerce) इंटरनेट जैसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर व्यापार करने का एक तरीका है । ई-कॉमर्स के अंतगर्त वस्तुओं या सेवाओं को खरीद या बिक्री इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जैसे - इंटरनेट के द्वारा होता है । यह इंटरनेट पर व्यापर है । ई-कॉमर्स को व्यापक रूप से इंटरनेट पर उत्पादों की खरीदारी और बिक्री माना जाता है
वर्तमान में ई-कॉमर्स इंटरनेट के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है । ईकॉमर्स उपभोक्ताओं को समय या दूरी की बिना कोई बाधाओं के साथ वस्तुओं और सेवाओं का इलेक्ट्रॉनिक रूप से आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है । इंटरनेट पर सामान ख़रीदना और बेचना ईकॉमर्स के सबसे लोकप्रिय उदाहरणों में से एक है ।

ईकॉमर्स के उदाहरण :-

  • Online Shopping
  • Electronic Payments
  • Online Auctions
  • Internet Banking
  • Online Ticketing

ई-कॉमर्स के प्रमुख लाभ :-

  • ई-कॉमर्स का उपयोग करते हुए, संगठन न्यूनतम पूंजी निवेश के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने बाजार का विस्तार कर सकता है ।
  • ई-कॉमर्स कंपनी की ब्रांड छवि को बेहतर बनाता है ।
  • ई-कॉमर्स संगठन को बेहतर ग्राहक सेवाएं प्रदान करने में सहायता करता है ।
  • ई-कॉमर्स व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने और उन्हें तेज़ और कुशल बनाने में मदद करता है ।
  • ई-कॉमर्स कागज काम बहुत कम कर देता है ।
  • ई-कॉमर्स ने संगठन की उत्पादकता में वृद्धि की ।
  • ई-कॉमर्स उत्पादों की लागत कम करने में मदद करता है इसलिए कम से कम समृद्ध लोग भी उत्पादों को खरीद सकते हैं ।

ई-कॉमर्स के प्रकार :-

  1. Business to Business E-commerce (B2B E-commerce)
  2. Business to Consumer Ecommerce (B2C Ecommerce)
  3. Consumer to Business Ecommerce (C2B Ecommerce)
  4. Consumer to Consumer Ecommerce (C2C E-commerce)

Disk Drive क्या है ?

डिस्क ड्राइव्स का प्रयोग सी.डी.-रोम या फ्लॉपी डिस्क में जमा आँकड़ों को पढ़ने और लिखने के लिए किया जाता है । जब हम डिस्क को डिस्क ड्राइव में डालते हैं तो यह एक मोटर की मदद से डिस्क को घुमाता है । ये सभी डिस्क आँकड़ों को भविष्य में प्रयोग के लिए स्थायी तौर पर जमा करते हैं इसलिए ये स्टोरेज उपकरण भी कहलाते हैं ।

Pen Drive क्या है ?

पेन ड्राइव एक पोर्टेबल यूनिवर्सल सीरियल बस (यूएसबी) फ्लैश मेमोरी डिवाइस है जिससे कम्प्यूटर से ऑडियो, वीडियो और डेटा फ़ाइलों को संग्रहित और स्थानांतरित किया जाता है।
यह छोटे की रिंग के आकर का होता है तथा आसानी से यू एस बी संगत प्रणालियों के बीच फाइलों के स्थानांतरण तथा संग्रहण करने के लिए उपयोग होता है ।
यह भिन्न-भिन्न क्षमताओं में उपलब्ध है । इसे पीसी के USB पोर्ट में लगाकर(Plug) उपयोग किया जाता है । इसे फ्लैश ड्राइव भी कहते हैं । यह ई-ई मेमोरी का एक उदाहरण है ।
एक पेन ड्राइव में आमतौर पर एक बड़ी भंडारण क्षमता(storage capacity ) होती है और त्वरित(quick) डेटा स्थानान्तरण( data transfers) प्रदान करता है।

Social Networking क्या है ?

सोशल नेटवर्किंग, दोस्तों, परिवार, सहपाठियों, ग्राहकों और ग्राहकों के साथ संबंध बनाने के लिए इंटरनेट आधारित सोशल मीडिया कार्यक्रमों का उपयोग है ।
ब्रांड पहचान और वफादारी बढ़ाने के लिए विपणक(Marketers) सोशल नेटवर्किंग का उपयोग करते हैं ।
लोग सामाजिक नेटवर्क का उपयोग क्यों करते हैं ?
सामाजिक नेटवर्क लोगों को अपने दोस्तों और परिवार के साथ जुड़ा रखने में मदद करते हैं और यह पता लगाने का एक आसान तरीका है कि आपके सामाजिक मंडली में हर दिन क्या हो रहा है । इंटरनेट पर मजेदार और दिलचस्प चीजों को खोजने के लिए सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल भी किया जा सकता है क्योंकि अक्सर आपके मित्र और परिवार आपके जैसे ही कई हितों को साझा करेंगे ।
आज सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्क क्या है ?
फेसबुक अभी भी एक अरब से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्क है ।
सामाजिक नेटवर्क के उदाहरण :
  • Bebo
  • Classmates
  • Facebook
  • Friendster
  • Google+
  • Instagram
  • LinkedIn
  • MySpace
  • Orkut
  • Twitter
  • YouTube

Modem क्या है ?

मॉडेम एक उपकरण या प्रोग्राम है जो कंप्यूटर को डेटा को संचारित करने में सक्षम बनाता है उदाहरण के लिए, टेलीफोन या केबल लाइन । यह एक प्रकार का हार्डवेयर डिवाइस है जो एनालॉग और डिजिटल डेटा के बीच वास्तविक समय में दो-तरफा नेटवर्क संचार के लिए परिवर्तित होता है । यह कंप्यूटर या राउटर को ब्रॉडबैंड नेटवर्क से जोड़ता है।
मॉडेम की गति क्या है ?
एक मोडेम की गति बीपीएस (bps) और केबीपीएस( Kbps) में मापा जाता है ।
कंप्यूटर मॉडेम के प्रकार
  • Onboard Modem :
  • Onboard Modem मदरबोर्ड पर निर्मित मॉडेम है, इस मोडेम को हटाया नहीं जा सकता है, लेकिन एक जम्पर (Jumper)या सीएमओएस(CMOS Setup) सेटअप के माध्यम से अक्षम किया जा सकता है ।
  • Internal Modem :
  • मोडेम जो एक पुराने कंप्यूटर पर एक नए डेस्कटॉप कंप्यूटर या ISA स्लॉट के अंदर PCI स्लॉट से कनेक्ट होता है इस दस्तावेज़ की शुरुआत में दिखाए गए आंतरिक मोडेम एक पीसीआई मॉडेम का एक उदाहरण है ।
  • External Modem :
  • एक बॉक्स के भीतर मोडेम जिसे बाहरी रूप से कंप्यूटर से जोड़ता है, आमतौर पर सीरियल पोर्ट या यूएसबी पोर्ट। चित्र बाहरी यूएसआरोबॉटिक्स मोडेम का एक उदाहरण है ।
  • Removable Modem :
  • मोडेम पुराने लैपटॉप PCMCIA स्लॉट के साथ प्रयोग किया जाता है और जरूरत के अनुसार इसे जोड़ा या हटाया जा सकता है ।
एक मॉडेम एक इनपुट और आउटपुट डिवाइस क्यों है ?
एक मोडेम को इनपुट और आउटपुट डिवाइस माना जाता है क्योंकि यह डेटा (अपलोड / आउटपुट) भेजता है और डेटा प्राप्त करता है (डाउनलोड / इनपुट)।

Hard Disk क्या है ?

हार्ड डिस्क को सिस्टम यूनिट के भीतर जोड़ दिया जाता है । यह एक बाहरी स्टोरेज उपकरण है और कंप्यूटर की सैकेण्डरी मेमोरी के रूप में भी जाना जाता है । कंप्यूटर बंद करने के बाद भी हार्ड डिस्क में संग्रहित सूचनाएँ वैसी ही रहती हैं । हार्ड डिस्क में संग्रहित सूचनाओं को बाद में संशोधित भी किया जा सकता है । हार्ड डिस्क लाइट एलॉय की बनी होती है और उसके दोनों और मैग्नेटाइज्ड ऑक्साइड की परत चढ़ी होती है
यह डिस्क ड्राइव पर बहुत तेजी से घूमती है । आँकड़ों को डिस्क पर सघन ट्रैकों के साथ स्टोर किया जाता है । ये ट्रैक फिर से सैक्टरों में बँटे होते हैं । ट्रैक इनडैक्स रिकॉर्डों को सीधे तौर पर ढूँढ लेता है । सभी सतहों पर एक ही रिकॉर्ड के सभी ट्रैकों को मिलाकर एक सिलेण्डर का नाम दिया गया है ।

Output Device क्या है ?

आउटपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में प्रोसेस हुए आँकड़ों के नतीजों को दिखाने के लिए किया जाता है । मॉनीटर और प्रिन्टर दो मुख्यतः प्रयोग में लाये जाने वाले आउटपुट उपकरण हैं । ये आउटपुट उपकरण को मशीनी संकेतों में लेते हैं और उन्हें मानवीय भाषा में परिवर्तित करते हैं ।

Input Device क्या है ?

इनपुट डिवाइस एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर को डेटा भेजता है, जिससे आप कंप्यूटर से संपर्क कर सकते हैं और उसे नियंत्रित कर सकते हैं। एक इनपुट डिवाइस कंप्यूटर पर डेटा भेजने के लिए उपयोग किया जाने वाला हार्डवेयर या बाह्य उपकरण है
इनपुट उपकरणों का प्रयोग कंप्यूटर में आँकड़ें डालने के लिए किया जाता है । इनपुट डिवाइस एक उपकरण है जो कंप्यूटर को इनपुट प्रदान करता है । की-बोर्ड सबसे अधिक प्रचलित इनपुट उपकरणों में से एक है जिसका प्रयोग कंप्यूटर में आंकड़े डालने और निर्देश देने के लिए किया जाता है । किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के लिए एक keyboard सबसे मौलिक इनपुट डिवाइस है । कंप्यूटिंग के शुरुआती दिनों में, यह आमतौर पर केवल इनपुट डिवाइस था । एक keyboard में अक्षरों(letters) और संख्याओं(numbers) के साथ-साथ विशेष कार्य के लिए Key भी शामिल है, जैसे कि एंटर (Enter), डिलीट(Delete), आदि ।
कुछ और महत्त्वपूर्ण इनपुट उपकरण हैं :-
  • माउस
  • लाइन पेन
  • जॉयस्टिक

मल्टी प्रोसेसिंग क्या है ?

मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) प्रणाली में, दो या दो से अधिक स्वतन्त्र प्रोसेसर आपस में सामंजस्य प्रणाली के तहत जुड़े होते हैं । इस प्रकार की प्रणाली में, एक या अनेक प्रोग्रामों से आने वाले निर्देश एक ही समय में अलग-अलग प्रोसेसरों के द्वारा प्रोसेस किये जा सकते हैं ।
मल्टी प्रोग्रामिंग का अर्थ है एक ही सी. पी. यू. में भागीदारी करने वाले दो या दो से अधिक प्रोग्रामों का एक ही बार में कार्यान्विंत होना । मल्टी प्रोसेसिंग में, किसी एक समय में एक प्रोग्राम या अनेक प्रोग्रामों के विभिन्न निर्देशों को दो या दो से अधिक सी. पी. यू. कार्यान्विंत करते हैं ।

मल्टी टास्किंग क्या है ?

बहुत से कार्यों को कम्प्यूटर पर किये जाने के लिए एक-दूसरे के सहारे में आवश्यकता होती है । ये कार्य मेमोरी में एक ही बार में स्टोर किये जा सकते हैं और ऑपरेटिंग सिस्टम यह निर्धारित करता है कि किस प्रोग्राम को कितने समय के लिए प्रोसेस करना है और कब अगले प्रोग्राम को प्रोसेसिंग के लिए जाना है ।

Spam क्या है ?

इंटरनेट पर लोगों को संदेश या विज्ञापन बार-बार भेजना जिसका उन्होंने अनुरोध नहीं किया है स्पैम कहलाता है । अर्थात अवांछित संदेश या विज्ञापन लोगों को भेजना स्पैम कहलाता है ।

Hacker क्या है ?

वह व्यक्ति जो अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अन्य व्यक्तियों के कम्प्यूटर और कम्प्यूटर नेटवर्क से जानकारी गैर-क़ानूनी तरीके से उसे हानि पहुँचाने के लिए प्राप्त करता है, हैकर कहलाता है ।

एम एस-वर्ड (MS-Word) क्या है ?

एम एस-वर्ड एक सॉफ्टवेयर है जो वर्ड प्रोसेसिंग कार्य के लिए उपलब्ध हैं विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम (Window Operating System) में । यह एक बहुत ही प्रचलित एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है जो न केवल वर्ड-प्रोसेसिंग करता है बल्कि डी. टी. पी. कार्य भी करता है ।
जब आप वर्ड में काम कर रहे होते हैं तो समय-समय पर आपको अपना दस्तावेज सेव करना पड़ता है । इसके लिए आपको ऑटो सेव विकल्प का चयन करना होता है ।
एम एस-वर्ड की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है ?
  • एम एस-वर्ड की सहायता से आप डॉक्यूमेंट बना सकते हैं, और अधिक टेक्स्ट जोड़ सकते हैं तथा टेक्स्ट में बदलाव भी कर सकते हैं ।
  • आप मार्जिन को बदल कर उसका रूप बदल सकते हैं ।
  • आप फॉन्ट के आकार और प्रकार को बदल सकते हैं ।
  • आप डॉक्यूमेंट में पेज नम्बर, हैडर और फुटर जोड़ सकते हैं ।
  • स्पेलिंग की जाँच और उनका निदान अपने आप हो जाता है ।
  • टेबल बनाकर उसे टेक्स्ट में जोड़ सकते हैं ।
  • यह आपको हेल्प विकल्प भी प्रदान करता है ।
  • यह आपको मेल मर्ज सुविधा भी प्रदान करता है ।
एम एस-वर्ड चलाने के लिए निम्नलिखित कदम तरीका :
  • टास्कबार पर स्टार्ट बटन पर क्लिक करो । स्टार्ट बटन आपके सामने प्रकट होगा ।
  • प्वाइंटर को प्रोग्राम मैन्यू पर ले जाओ ।
  • एम एस-वर्ड विकल्प पर बायाँ बटन क्लिक करो ।
एम एस-वर्ड के महत्वपूर्ण भाग निम्नलिखित है :
  • मैन्यू बार (Menu Bar):
  • यह एम एस-वर्ड प्रोग्राम में उपलब्ध सभी विशेषताओं का एक समूह है । मुख्य मैन्यू फिर से अन्य सब-मैन्यू को दिखता है ।
  • टाइटल बार (Title Bar) :
  • टाइटल बार डॉक्यूमेंट के ऊपर होता है जिसमें वर्तमान समय में सक्रिय डॉक्यूमेंट और साथ ही साथ माइक्रोसॉफ्ट वर्ड लिखा होता है । इसका प्रयोग वर्ड विंडोज के आकार और स्थान को बदलने में किया जाता है ।
  • फॉरमेटिंग टूल बार (Formattig Tool Bar) :
  • इस बार का प्रयोग टेक्स्ट व्यवस्थित को रूप प्रदान करने के लिए किया जाता है । यहाँ आप कोई भी फॉन्ट, आकर, बोल्ड, इटेलिक आदि कर सकते हैं और पैराग्राफ की सैटिंग ठीक कर सकते है ।
  • इनसरशन प्वाइंटर (Insertion Point) :
  • यह डॉक्यूमेंट स्क्रीन पर एक चमकती हुई लम्बवत् रेखा होती है जो की यह संकेत करती है कि जब आप टाइप करेंगे तो टेक्स्ट कहाँ प्रकट होगा ।
  • रूलर बार (Ruler Bar) :
  • रूलर बार की मदद से आप अपने दस्तावेज को सही लेआउट (Layout) प्रदान कर सकते हैं ।

डॉस (DOS) क्या है ?

डॉस (DOS) एक ऑपरेटिंग सिस्टम है । किसी कम्प्यूटर सिस्टम के सरल कार्यों को करने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । इसका पूरा नाम डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Disk Operating System) है । यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपभोक्त्ता और कम्प्यूटर सिस्टम के बीच माध्यम का काम करता है ।
इस ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिये कम्प्यूटर को चलाने से पहले ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड करना आवश्यक है । डॉस हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है । यह उन कमाण्डों को परिवर्तित करता है जो की-बोर्ड की मदद से ऐसी भाषा डाली जाती हैं जिन्हें कम्प्यूटर आसानी से समझ सके । इसे डिस्क पर स्टोर किया जाता है और यह आपकी हार्ड डिस्क से में मेमोरी में लोड किया जाता है ।
आप विशेष कमाण्डों के प्रयोग से निम्नलिखित कार्यों को कर सकते हैं :
  • फाइल को बनाना या मिटाना और फाइल के नामों को बदलना ।
  • आप स्टोर की गई फाइलों की सूचि देख सकते हैं ।
  • आप हार्डवेयर को दो भागों में बाँट सकते हो ।
  • नई फ्लॉपी डिस्क को फॉरमेट कर सकते हो ।
  • आप हार्ड डिस्क से फ्लॉपी में और फ्लॉपी डिस्क से हार्ड डिस्क में बैकअप ले सकते हैं ।
वे कार्य जो डॉस स्वतः करता है :
  • यह हार्डवेयर जैसे की सी. पी. यू. और मेमोरी को नियंत्रण करता है ।
  • यह वायरस को ढूँढ निकालता है ।
  • यह विभिन्न प्रोग्रोमों में मेमोरी का आबंटन करता है ।
  • यह कम्प्यूटर से जुड़े अन्य उपकरणों को नियंत्रित करता है ।
  • यह की-बोर्ड से सूचनाओं को लेता है और उन्हें मॉनीटर पर दिखाता है ।

डेटा संचार क्या है ?

डेटा संचार दो या दो से अधिक केन्द्रों के बीच डिजिटल या एनालॉग डेटा का स्थानान्तरण है, जो आपस में संचार चैनल से जुड़ा होता है ।
डेटा संचार के निम्नलिखित लाभ है :
  • डेटा को भौतिक रूप से भेजने में तथा डेटा तैयार करने में लगने वाले समय की बचत ।
  • आधुनिक कम्प्यूटर के प्रोसेसिंग शक्ति तथा संग्रहण क्षमता का पूर्ण उपयोग ।
  • फाइल से सूचनाओं की तीव्र प्राप्ति ।
  • फाइलों के नकल से बचाव तथा शुद्धता
  • कम खर्च में डेटा का आदान-प्रदान ।
संचार चैनल मुख्यतः तीन प्रकार के होते है :
  1. सिम्पलेक्स चैनल (Simplex Channel) :
  2. इसमें डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता है । जैसे - रेडियो स्टेशन से रेडियो सिग्नल श्रोताओं के पास पहुँचता है, पर श्रोता वापस उन्हें रेडियो स्टेशन स्थानांतरित नहीं कर सकता है । सिग्नल एक ही दिशा में अर्थात 'A' से 'B' की और जाता है ।
  3. अर्द्ध डुप्लेक्स चैनल (Half Duplex Channel) :
  4. इस चैनल में डेटा का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता है । परन्तु एक समय में किसी एक ही दिशा में डेटा का प्रवाह होता है, अर्थात 'A' से 'B' या 'B' से 'A' की और । जैसे टेलीफोन लाइन ।
  5. पूर्ण डुप्लेक्स चैनल (Full Duplex Channel) :
  6. इस चैनल में डेटा का प्रवाह दोनों दिशाओं में एक साथ हो सकता है । एक ही समय में डेटा 'A' से 'B' की और तथा 'B' से 'A' की और आ-जा सकता है ।
एक कम्प्यूटर से टर्मिनल या टर्मिनल से कम्प्यूटर तक डाटा के प्रवाह के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे कम्युनिकेशन लाइन या डेटा लिंक कहते हैं ।
ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं :
  • को-एक्सियल केबल (Coaxial-Cable)
  • प्रकाशीय तंतु (Optical Fiber)
  • माइक्रोवेव ट्रांसमिशन (Microwave Transmission)
  • स्टैन्डर्ड टेलीफोन लाइन (Standard Telephone)
  • उपग्रह संचार (Satellite Communication)

वर्ड प्रोसेसिंग क्या है ?

वर्ड प्रोसेसर एक सॉफ्टवेर पैकेज है जिसकी मदद से हम एक डॉक्यूमेंट को हाथ से बनाने की अपेक्षा शीघ्र बना सकते हैं, उसमें बदलाव कर सकते हैं, उसे प्रिन्ट कर सकते हैं और सेव कर सकते हैं । एक डॉक्यूमेंट को बनाने का अर्थ है - की-बोर्ड से टाइप करना, डॉक्यूमेंट में स्पैलिंग की गलतियों को ठीक करना, शब्दों को मिटाना और डालना, वाक्यों या पैराग्राफ को जोड़ना आदि ।
वर्ड प्रोसेसिंग की निम्नलिखित विशेषताएँ है :
  • टाइप किये टेक्स्ट में आसानी से बदलाव लाया जा सकता है ।
  • शब्द और वाक्य सरलता से जोड़े, हटाये और बदले जा सकते हैं ।
  • पैराग्राफ या टेक्स्ट को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया जा सकता है ।
  • मार्जिन और पेज की लम्बाई आवश्यकतानुसार व्यवस्थित की जा सकती है ।
  • स्पैलिंग की जाँच और त्रुटियों का निदान स्पैल चैक सुविधा से किया जा सकता है ।
  • बहुत से डॉक्यूमेंट एक किये जा सकते हैं ।
  • मेल मर्ज सुविधा के प्रयोग से एक ही पत्र अलग-अलग नामों और पतों से प्रिन्ट किया जा सकता है |

मेल मर्ज क्या है ?

मेल मर्ज (Mail Merge)सुविधा से हम व्यक्तिगत पत्र, पत्रों के लिए लिफाफे और मेलिंग लिस्ट में लिखे प्रत्येक व्यक्ति के मेलिंग लेबल तैयार कर सकते हैं । कई बार हमें एक जैसे पत्र अनेक नामों और पतों के साथ भेजने होते है । हमारी इस समस्या का समाधान मेल-मर्ज सुविधा में है । मेल-मर्ज सुविधा के प्रयोग से आप अनेक पत्रों को भेज सकते हैं, मेलिंग लेबल बना सकते हैं तथा अलग-अलग नाम तथा पते लिख सकते हैं ।
मेल मर्ज के तीन भाग (Components) होते है :
  1. मुख्य दस्तावेज (Main Document) :
  2. मेल मर्ज में उच्च दस्तावेज ही सार्वजनिक पत्र होता है जिसमें मर्ज को चलाने के लिए निर्देश होते हैं । इसमें सामान्य टेक्स्ट के साथ फील्ड के नाम होते हैं । मुख्य दस्तावेज में सूचनाओं ठीक वैसी ही रहती हैं । वर्ड मर्ज दस्तावेजों में उन विशेष स्थानों, नामों और पतों का प्रवेशन करता है । मर्ज दस्तावेज में शब्दों को डालने से पहले आपको मुख्य दस्तावेज में फील्ड के नामों का प्रवेशन करना चाहिए ।
  3. फील्ड नेम (Field Name) :
  4. फील्ड नेम इस बात की और संकेत करता है कि बदली जाने वाली सूचनाओं का प्रवेशन कहाँ होना है । डाटा सोर्स में, फील्ड के नाम प्रत्येक कॉलम में सूचना के वर्गों की और संकेत करते हैं । इनका मिलान डाटा फाइन में फील्ड नामों के साथ होना चाहिए ।
  5. डाटा स्त्रोत (Data Source) :
  6. डाटा फाइन में वे सूचनाएँ होती हैं जिन्हें मुख्य दस्तावेज में लाना होता है । डाटा सोर्स को डाटा फाइल भी कहते हैं । आप इसमें केवल वाक्यों को ही स्टोर नहीं कर सकते बल्कि कोई भी टेक्स्ट या डाटा, जिसे आप बार-बार प्रयोग करना चाहते हैं, स्टोर कर सकते हैं ।

लैंग्वेज प्रोसेसर्स क्या है ?

कम्प्यूटर केवल मशीनी भाषा (Machine Language) समझता है जो कि दो अंकों (0 और 1) पर आधारित होती है लेकिन प्रोग्रामर मशीनी भाषा में प्रोग्राम लिखने में असमर्थ होता है । स्त्रोत भाषा में लिखे ये प्रोग्राम कम्प्यूटर के लिए मशीनी भाषा में परिवर्तित किये जाते हैं । ये भाषा प्रोसेसर (Language Processor)उच्च-स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में और मशीनी भाषा को उच्च-स्तरीय भाषा में अनुवाद करते हैं । मशीन भाषा की तुलना में उच्च-स्तरीय भाषा में प्रोग्राम लिखना सरल होता है ।
तीन प्रकार के भाषा प्रोसेसर (Language Processors) हैं :
  1. अनुवादक (Assembler) :
  2. वह प्रोग्राम जो कि असेम्बली भाषा के प्रोग्रामों का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है, अनुवादक कहलाता है ।
  3. इन्टरप्रेटर (Interpreter) :
  4. वह प्रोग्राम जो उच्च-स्तरीय भाषा में लिखे प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है, इन्टरप्रेटर कहलाता है । यह एक के बाद एक लाइन का अनुवाद करता है इसलिए प्रत्येक वाक्य में होने वाली त्रुटियों को मॉनीटर पर एक के बाद एक करके दिखता है । यहाँ पर त्रुटियों को ढूँढना और उन्हें दूर करना बहुत आसान होता है । कई बार तो हम गलती का तभी पता लगा लेते हैं जब हम कम्प्यूटर पर निर्देश टाइप करते हैं ।
  5. कम्पाइलर (Compiler) :
  6. यह उच्च-स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है । जब प्रोग्राम पूर्ण रूप से कम्प्यूटर में डाल दिया जाता है तब यह पूरे प्रोग्राम को एक ही बार में अनुवाद कर देता है । इससे शीघ्रता से पूरा प्रोग्राम मशीनी भाषा में अनुवादित हो जाता है और यदि इसमें कुछ त्रुटियाँ हैं, वे एक ही समय में स्क्रीन पर प्रकट हो जाती हैं । जब सभी त्रुटियाँ दूर कर दी जाती हैं तो उस प्रोग्राम को फिर से अनुवादित किया जाता है ।

कम्प्यूटर वायरस क्या है ?

वायरस एक प्रोग्राम है जो हमारे कम्प्यूटर सिस्टम में बिना हमारी इच्छा तथा जानकारी के लोड हो जाता है । एक वायरस बार-बार खुद की प्रतिलिपि तैयार कर सकता है और उपलब्ध सारे मेमोरी का उपयोग कर सिस्टम की गति को धीरे या पूर्णतः रोक सकता है । कुछ वायरस कम्प्यूटर के बूटिंग से स्वंय को जोड़ लेता है तथा जितनी बार कम्प्यूटर बूट करता है वह उतना ही फैलता जाता है या कम्प्यूटर को रिबूट करता करता रहता है । वह कम्प्यूटर के डेटा या प्रोग्राम को क्षति पहुँचाता है । हमारे कम्प्यूटर में वायरस के आने का सामान्य तरीका इंटरनेट तथा अवांछित ई-मेल है ।
कम्प्यूटर वायरस भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं :
  • बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus)
  • परजीवी वायरस (Parasitic Virus)
  • मल्टीपार्टाइट वायरस (Multipartite Virus)
  • लिंक वायरस (Link Virus)
  • मैक्रो वायरस (Macro Virus)
वायरस को नष्ट करने के लिए बनाये गये प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर को एन्टीवायरस कहते हैं । इसमें आटो प्रोटेक्ट तथा रियाल टाइम प्रोटेक्सन की सुविधा रहती है जो इंटरनेट से किसी फाइल का उपयोग करने के पहले उसे जाँच लेता है कि यह वायरस मुक्त है या नहीं । अगर फिर भी वायरस सिस्टम में सक्रिय हो जाता है, तो हमें सूचित कर देता है । जिसे हम एन्टीवायरस के सिस्टम स्कैन चलाकर हटा सकते हैं । कुछ समय के अंतराल पर पूर्ण सिस्टम स्कैन चलाकर हम कम्प्यूटर को वायरस मुक्त रखने में सक्षम हो सकते हैं । सर्वप्रथम दिखनेवाला पर्सनल कम्प्यूटर वायरस सी-ब्रेन है ।
कुछ कम्प्यूटर वाइरस निम्नलिखित है :
  • सी-ब्रेन (C-Brain)
  • मंकी (Monkey)
  • वान हॉफ (Vanhalf)
  • माइकल एंगेलो (Michelangelo)
  • क्रिपर (Creeper)
  • हैप्पी वर्थडे जोशी (Happy Birthday Joshi)

कम्प्यूटर की भाषायें क्या है ?

मनुष्य को एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है । भाषा संचार का एक साधन है । ठीक उसी तरह, कम्प्यूटर से बातचीत करने के लिए हमें कम्प्यूटर की भाषाओं की जानकारी होनी चाहिए । कम्प्यूटर भाषायें अनेक प्रकार की होती है जिनके अपने ही संकेत, कैरेक्ट और प्रयोग करने के नियम होते हैं जो की इंसान को कम्प्यूटर से बातचीत करने में सहायता करते हैं ।
तार्किक रूप से सम्बन्धित निर्देशों का समूह जिसे क्रमानुसार व्यवस्थित किया होता है ताकि वह कम्प्यूटर को समस्या सुलझाने में मार्गदर्शन करे, प्रोग्राम कहलाता है । वे भाषायें जिनमें प्रोग्राम लिखे जाते हैं, प्रोग्रामिंग कहलाती हैं । सही नतीजे पाने के लिए इसे सही ढंग से प्रोग्राम किया जाना आवश्यक है ।
इन प्रोग्रामिंग भाषाओं को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जा सकता है :
  1. मशीनी भाषा (Machine Language)
  2. असेम्बली भाषा (Assembly Language)
  3. उच्च-स्तरीय भाषा (High Level Language)

डोमेन नाम क्या है ?

डोमेन नाम (Domain Name)एक विशेष नाम है जो इंटरनेट साइट की पहचान बताता है । किसी इंटरनेट वेबसाइट (Website) का यूआरएल (URL) के अंत में डॉट (.) के बाद के नाम को डोमेन कहते हैं । जैसे - http://www.blogger.com में .com डोमेन नेम है । यह किसी संस्था या देश को इंगित करता है ।
कुछ महत्वपूर्ण डोमेन नेम निम्नलिखित है :
  • .acro - एवीएशन
  • .gov - सरकारी संस्था
  • .in - भारत
  • .net - नेटवर्क
  • .name - पर्सनल
  • .jobs - नोकरी
  • .biz - बिजनेस आर्गेनाईजेशन
  • .edu - शैक्षिक संस्था
  • .org - आर्गेनाईजेशन
  • .mil - सैनिक
  • .asia - एशिया
  • .com - कॉमर्शियल

IP एड्रेस क्या है ?

आई पी एड्रेस (IP Adress) चार संख्याओं का एक समूह है जो डॉट (.) से अलग किया जाता है । जिसका एक भाग नेटवर्क का पता (Network Adress) तथा दूसरा भाग नोड पता (Node Adress) है । नेटवर्क में जुड़े प्रत्येक नोड का आई पी एड्रेस खास तथा अलग-अलग होता है ।
उदाहरण - IP एड्रेस 202.54.15.178 में 202.54 नेटवर्क एड्रेस है तथा 15.178 नोड एड्रेस है ।

TCP/IP क्या है ?

टी सी पी (TCP) का अर्थ है ट्रान्समिशन कन्ट्रोल प्रोटोकॉल (Transmission Control Protocol) और आई पी (IP)का अर्थ जय इन्टरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol)।
यह नियमों का एक समूह है, जो इंटरनेट कैसे कार्य करता है यह निर्णय करता है । यह दो कम्प्यूटर के बीच सूचना स्थान्तरण और संचार को संभव करता है । इनका प्रयोग डाटा को सुरक्षित ढंग से भेजने के लिए किया जाता है । टी सी पी की भूमिका डाटा को छोटे-छोटे भागों में बाँटने की होती है और आई पी इन पैकिटों पर लक्ष्य स्थल का पता अंकित करता है ।

URL (Uniform Resource Locator) क्या है ?

URL (Uniform Resource Locator), यह इंटरनेट पर किसी भी संसाधन का पता देने के लिए स्टैन्डर्ड तरीका है । यह इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं का पता बताता है तथा उस सूचना के प्रोटोकॉल एवं डोमेन नाम को भी दर्शाता है ।
जैसे - http://www.google.com में http हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल है । जिसका उपयोग कर वर्ल्ड वाइड वेब पर google.com नामक वेबसाइट पर जा सकते हैं ।

वर्ल्ड वाइड वेब क्या है ?

वर्ल्ड वाइड वेब और इंटरनेट दोनों दो चीजे हैं परन्तु दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं । वर्ल्ड वाइड वेब जानकारी युक्त पेजों का विशाल संग्रह है जो एक दूसरे से जुड़ा है । जिसे वेब पेज कहते हैं । वेब पेज HTML भाषा में लिखा होता है जो कंप्यूटर में प्रयुक्त एक भाषा है । वेब पेज को जो रोचक बनाता है वह है हाइपरलिंक, जिसे अक्सर लिंक कहा जाता है ।
हर लिंक किसी दूसरे पेज को इंगित करता है और जब हम इस पर क्लिक करते हैं तो हमारा ब्राउज़र लिंक से जुड़े पेज को उपलब्ध कराता है । अतः वर्ल्ड वाइड वेब एक विशाल सूचनाओं का डेटाबेस है तथा हर सूचना एक दूसरी सुचना से जुड़ा है ।

वेब ब्राऊजर क्या है ?

वेब एक विशाल पुस्तक की तरह है तथा वेब ब्राऊजर एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ता है । यह बहुत ही महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । ब्राऊजर वर्ड वाइड वेब पर साइट देखने का एक सामान्य साधन है । इन सॉफ्टवेयर का उपयोग कर हमलोग इंटरनेट से जुड़ने में सक्षम होते हैं, तथा वेब से अपने पसंद की जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं । यह अनेक कार्यों को जैसे की ई-मेल, खबरें, इंटरनेट से बात करना, वार्तालाप, मल्टीमीडिया आदि को नियंत्रित करता है ।
ब्राऊजर भी एक वेब ग्राहक माना जाता है क्योंकि क्लाइन्ट मॉडल में यह क्लाइन्ट प्रोग्राम की तरह कार्य करता है । ब्राउजर वेब सर्वर से सम्पर्क बनाता है और सूचनाओं के लिए निवेदन करता है ।
वेब ब्राऊजर का उपयोग कर हमलोग किसी विशेष पेज या लोकेशन पर उसके पता टाइप कर जा सकते हैं, इस पता को यूआरएल कहते हैं ।
कुछ प्रमुख वेब ब्राऊजर निम्नलिखित है :-
  • नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator)
  • माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सपलोरर (Microsoft Internet Explorer)
  • मौजिला फायरफॉक्स (Mosilla Firefox)
  • NCSA मॉजैक (NCSA Mosaic)
  • ओपेरा (Opera)
  • सफारी (Safari)
  • क्रोम (Chrome)

नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है ?

नेटवर्क टोपोलॉजी विभिन्न नोड्स या टर्मिनल को आपस में जोड़ने का तरीका है । यह विभिन्न नोड्स के बीच भौतिक संरचना को दर्शाता है । नेटवर्क संरचना का अर्थ है कि नेटवर्क तारों की तर्कपूर्ण व्यवस्था । अन्य शब्दों में, कम्प्यूटरों का आपस में जुड़ने का ढंग ही नेटवर्क टोपोलॉजी कहलाता है ।
नेटवर्क टोपोलॉजी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं :
  • मेस टोपोलॉजी (Mesh Topology) :
  • यह नेटवर्क उच्च ट्राफीक स्थिति में मार्ग (Routes) को ध्यान में रखकर उपयोग किया जाता है । इसमें किसी भी स्त्रोत (Source) से कई मार्गों से सन्देश भेजा जा सकता है । पूर्णतः इन्टरकनेक्टेड मेस नेटवर्क खर्चीला है, क्योंकि इसमें ज्यादा केबल (Cable) तथा नोड में इंटेलिजेंस की आवश्यकता होती है । इस नेटवर्क में उच्च सुरक्षा अनुप्रयोग में डाटा प्रेषित किया जाता है ।
  • स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) :
  • इस नेटवर्क में एक केन्द्रीय नोड होता है जो इंटेलिजेंस से युक्त होता है । बाकि नोड्स इससे जुड़े रहते हैं । इस केन्द्रीय नोड को हब कहते हैं । कोई एक केबल में कोई कठिनाई आने पर एक ही नोड विफल होता है परन्तु अगर हब में कोई कठिनाई आती है तो सारा नेटवर्क विफल होता है ।
  • रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) :
  • इस नेटवर्क में सभी नोड्स में समान रूप से इंटेलिजेंस होता है । डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता है परन्तु किसी भी एक केबल या नोड में कठिनाई आने पर दूसरे से संचार संभव है ।
  • बस टोपोलॉजी (Bus Topology) :
  • इस नेटवर्क में सभी नोड्स एक ही केवल में जुड़े रहते हैं । कोई भी नोड किसी दूसरे नोड को डेटा प्रेषित करना चाहता है तो उसे देखना होता है की बस में कोई डेटा प्रवाहित तो नहीं हो रहा है । बस खाली रहने पर नोड डेटा प्रेषित कर सकता है । इसमें कम केबल की आवश्यकता होती है तथा नया नोड जोड़ना आसान होता है । परन्तु प्रमुख ट्रांसमिशन लाइन में कठिनाई आने पर सारा नेटवर्क विफल हो जाता है ।

नेटवर्क क्या है ?

नेटवर्क आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का समूह है जो एक दूसरे से संचार स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों को साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं । किसी भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता, माध्यम तथा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर के साधनों में भागीदारी करने के उद्देश्य से बहुत-से कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना कम्प्यूटर नेटवर्किंग कहलाता है । कम्प्यूटर नेटवर्किंग की मदद से उपभोक्ता उपकरणों, प्रोग्रामों, संदेशों और सूचनाओं को एक ही जगह पर रहकर उनके साथ भागीदारी कर सकते हैं ।
नेटवर्क स्थापित करने के लिए मुख्य उपकरण निम्नलिखित है 
  • रिपीटर्स (Repeaters)
  • हब (Hub)
  • स्विच (Switches)
  • राउटर्स (Routers)
  • गेटवे (Gateways)
नेटवर्क के निम्नलिखित प्रकार हैं :
  1. लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network-LAN) :-
  2. यह एक कम्प्यूटर नेटवर्क है, जिसके अन्दर छोटे भौगोलिक क्षेत्र जैसे - घर, ऑफिस, भवनों का एक छोटा समूह या हवाई अड्डा आदि में कम्प्यूटर नेटवर्क है । वर्तमान लैन ईथरनेट तकनीकी पर आधारित है । इस नेटवर्क का आकर छोटा, लेकिन डेटा संचारण की गति तीव्र होती है ।
  3. वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network-WAN) :-
  4. इस नेटवर्क में कम्प्यूटर आपस में लीज्ड लाइन या स्विचड सर्किट के द्वारा जुड़े रहते हैं । यह नेटवर्क व्यापक भौगोलिक क्षेत्र देश, महादेश में फैला नेटवर्क का जाल है । इन्टरनेट इसका अच्छा उदाहरण है । भारत में CMC द्वारा विकसित इंडोनेट वैन का उदाहरण है । बैंकों द्वारा प्रदत्त ATM सुविधा वाइड एरिया नेटवर्क का उदाहरण है ।
  5. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network-MAN) :-
  6. MAN दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क को जोड़ता है । यह शहर की सीमाओं के भीतर स्थित कंप्यूटरों का नेटवर्क है । राउटर्स, स्विच और हब्स मिलकर एक MAN का निर्माण करते हैं ।

इन्टरनेट क्या है ?

इन्टरनेट का मतलब उच्चस्तरीय कम्प्यूटर का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ाव है । ये जुड़ाव नेटवर्क केबलों, टेलीफोन केबलों, माइक्रोवेव डिश, सैटेलाइट और अन्य प्रकार के आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा सम्भव किया जाता है । इन्टरनेट विश्व के विभिन्न नेटवर्कों से सम्बन्ध रखने वालों हजारों कम्प्यूटर का एक जुड़ाव है । इससे नेटवर्किंग के माध्यम से विश्व में किसी भी जगह से विभिन्न प्रकार की सूचनाओं में भागीदारी की जा सकती है ।

मेमोरी क्या है ?

मेमोरी कम्प्यूटर का बुनियादी घटक है । यह कम्प्यूटर का आंतरिक भंडारण क्षेत्र है । केन्द्रीय प्रोसेसिंग इकाई (CPU) को प्रोसेस करने के लिए इनपुट डाटा एवं निर्देश चाहिए, जो की मेमोरी में संग्रहित रहता है । मेमोरी में ही संग्रहित तथा निर्देश का प्रोसेस होता है, तथा आउटपुट प्राप्त होता है । अतः मेमोरी कम्प्यूटर का एक आवश्यक अंग है ।
मेमोरी बहुत सारे सेल में बँटे होते है जिन्हें लोकेशन कहते हैं । हर लोकेशन का एक अलग लेबल होता है जिसे एड्रेस कहते हैं ।
मेमोरी दो प्रकार के होते हैं :
  1. प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) :
  2. प्राथमिक मेमोरी को अक्सर मुख्य मेमोरी भी कहते हैं, जो कम्प्यूटर के अन्दर रहता है तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है ।
  3. सहायक मेमोरी (Secondary Memory) :
  4. इसे सहायक तथा बैंकिंग स्टोरेज मेमोरी भी कहते हैं । चँकि मुख्य मेमोरी अस्थाई तथा सीमित क्षमता वाले होते हैं इसलिए द्वितीयक मेमोरी को बड़ी मात्रा में स्थायी डेटा मेमोरी के रूप में इस्तेमाल करते हैं । ज्यादातर इसका उपयोग डेटा बैकअप के लिए किया जाता है । CPU को वर्तमान में जिस डेटा की आवश्यकता नहीं होती है उसे द्वितीयक मेमोरी में संग्रह किया जाता है ।

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर और उपभोक्ता के बीच माध्यम का काम करता है । ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक लक्ष्य कम्प्यूटर सिस्टम को प्रयोग के लिए सुविधाजनक बनाना है और इसका द्वितीय लक्ष्य कम्प्यूटर हार्डवेयर को सुचारू रूप से चलाना है ।
ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का एक सेट है जो कम्प्यूटर के संसाधनों को प्रबंधित करने के लिए डिजाइन किया गया है और जिसमें कम्प्यूटर को शुरू करना, प्रोग्रामों को मैनेज करना, मेमोरी को मैनेज करना और इनपुट तथा आउटपुट डिवाइसों के बीच के कार्यों का समन्वय करना शामिल है ।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार :
  • एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम (Single User Operating System) :
  • एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो केवल एक उपभोक्ता को एक ही समय में कार्य करने की अनुमति देता है । एम. एस. डॉस सबसे अधिक प्रचलित एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम है ।
  • मल्टी-यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi-User Operating System) :
  • बड़ा कम्प्यूटर अधिक कार्यकुशलता से उपयोग किया जा सकता है, यदि एक ही समय पर बहुत से उपभोक्ता इस पर काम करें । ऐसा लोकल एरिया नेटवर्क के तहत टाइम शेयरिंग मोड़ (Time Sharing Mode) में ही सम्भव है । इन बहु-उपभोक्तओं के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक उपभोक्ता को एक निश्चित समय बाँटता है और इस बात पर भी कड़ी मेहनत करता है कि आउटपुट उपकरणों को जाने वाले नतीजे आपस में मिल न जाए । युनिक्स (Unix), विंडोज 98 आदि कुछ बहु-उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम हैं ।

CPU क्या है ?

CPU का पूरा नाम Central Processing Unit है । इसे प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर भी कहता हैं । यह पीसी से जुड़े विभिन्न उपकरणों को नियंत्रित करता है । यह कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है । यह एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप है जो डेटा को इनफॉर्मेशन में बदलते हुए प्रोसेस करता है । इसे कम्प्यूटर का ब्रेन कहा जाता है । यह कम्प्यूटर सिस्टम के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा यह इनपुट को आउटपुट में रूपान्तरित करता है । यह इनपुट तथा आउटपुट यूनिट से मिलकर पूरा कम्प्यूटर सिस्टम बनाता है ।
इसके निम्नलिखित भाग है :-
  • अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ) :-
  • इसका उपयोग अंकगणितीय तथा तार्किक गणना में होता है । अंकगणितीय गणना के अन्तगर्त तुलनात्मक गणना के अन्तगर्त जोड़, घटाव, गुणा और भाग इत्यादि तथा तार्किक गणना के अन्तगर्त तुलनात्मक गणना जैसे (<, > या =), हाँ या ना इत्यादि आते हैं ।
  • कंट्रोल यूनिट (Control Unit) :-
  • यह कम्प्यूटर के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के सारे भागों जैसे इनपुट, आउटपुट डिवाइसेज, प्रोसेसर इत्यादि के सारे गतिविधियों के बीच तालमेल बैठाता है ।
  • मेमोरी यूनिट (Memory Unit) :-
  • यह डेटा तथा निर्देशों के संग्रह करने में प्रयुक्त होता है । इसे मुख्यतः दो वर्गों प्राइमरी तथा सेकेंडरी मेमोरी में विभाजित करते हैं । जब कम्प्यूटर कार्यशील रहता है, अर्थात वर्तमान में उपयोग हो रहे डेटा तथा निर्देशों का संग्रह प्राइमरी मेमोरी में होता है । सेकेंडरी मेमोरी का उपयोग बाद में उपयोग होने वाले डेटा तथा निर्देशों को संग्रहित करने में होता है ।

UPS क्या है ?

UPS का पूरा नाम Uninterruptible Power Supply है । यह बैटरी से संचालित उपकरण है जिसके द्वारा कम्प्यूटर में अनवरत विद्युत आपूर्ति बनी रहती है । यह कंप्यूटर को तब पॉवर देता है जब अचानक मुख्य सप्लाई से पॉवर कट जाती है ।
यूपीएस के अन्दर एक बैटरी लगी होती है जो की 20-40 मिनट तक पॉवर दे सकती है । इससे हमें यह लाभ होता है कि जब मुख्य सप्लाई से पॉवर आनी बन्द हो जाती है उस समय हम कंप्यूटर को ढंग से बन्द कर सकते हैं ।

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर क्या है ?

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) एक ऐसा सॉफ्टवेयर जिसे विशेष उपयोगिताओं के लिए बनाया गया है । एप्लिकेशन प्रोग्राम सामान्य उद्देश्यों के लिए बनाये जाते हैं जैसे की उपज का लेखा-जोखा, सामान्य बिल बुक और खाता-बही बनाना आदि । ये पैकेज बैंकों, अस्पतालों, बीमा कम्पनियों, पब्लिकेशनों आदि के लिए बनाये जाते हैं ।
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को भी दो भागों में बाँटा जा सकता है :
  1. विशेष उद्देश्यीय एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Customized Application Software) :
  2. ये वे प्रोग्राम है जो कि उपभोक्ता की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष तौर पर बनाये जाते हैं । इन सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये उपभोक्ता की सारी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं । इस प्रकार के सॉफ्टवेयरों की मुख्य हानि यह है कि ये सामान्य उद्देशीय सॉफ्टवेयरों की तुलना महँगा होता है ।
  3. सामान्य उद्दश्यीय एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (General Purpose Application Software) :
  4. ये वे प्रोग्राम हैं जो कि लोगों के सामान्य आवश्यक कार्यों को करने के लिए बनाये जाते हैं । प्रत्येक प्रोग्राम इस ढंग से लिखा जाता है कि वह बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं पर लागू हो । इस सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सस्ता होता है । लेकिन इसकी एक बड़ी हानि यह है कि ये उपभोक्ताओं की सभी जरूरतों को पूरा नहीं करता ।

सॉफ्टवेयर क्या है ?

सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग भाषा द्वारा लिखे गये निर्देशों की श्रृंखला है, जिसके अनुसार दिए गये डेटा का प्रोसेस होता है । बिना सॉफ्टवेयर के कम्प्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है । इसका प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है । सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर भी कार्य करता है । इसे प्रोग्राम भी कहते हैं । हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संचार स्थापित करने को इंटरफेस कहते हैं ।
सभी सॉफ्टवेयर लाइसेंस के माध्यम से संरक्षित तथा प्रतिवेधित रहते हैं । सॉफ्टवेयर लाइसेंस सॉफ्टवेयर के निर्माता तथा उपयोगकर्त्ता के बीच कानूनी एग्रीमेंट है, जिसके अन्तगर्त एक से अधिक कम्प्यूटर पर सॉफ्टवेयर को ईस्टॉल करना, कोड में किसी तरह का रूपान्तरण और सॉफ्टवेयर में किसी तरह का बदलाव करना निषेद्य है । यह सॉफ्टवेयर के उपयोग को प्रतिबंधित करता है ।
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विभिन्न तरह के होते हैं । सामान्यतः इसे तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है :
  1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
  2. यह कम्प्यूटर हार्डवेयर को नियंत्रित करता है कि अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर अच्छी तरह से चल सके । जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर, विंडोज सिस्टम आदि ।
  3. अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software)
  4. यह यूजर को एक या एक से अधिक कोई विशेष कार्य पूरा करने की अनुमति देता है । उच्च स्तरीय की कम्प्यूटर भाषाओं का उपयोग कर अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं । सॉफ्टवेयर प्रोग्राम अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हुए लिखा जाता है, अतः यूजर आसानी से कम्प्यूटर का उपयोग कर सकता है । जैसे - वर्ड प्रोसेसर, औद्योगिक स्वचालन, व्यापार सॉफ्टवेयर और चिकित्सा सॉफ्टवेयर आदि ।
  5. प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर (Programming Software)
  6. यह आमतौर पर कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने में एक प्रोग्रामर की सहायता करने के लिए उपकरण प्रदान करता है, जैसे - पाठ संपादक, कम्पाइलर, डि-बगर, इन्टरप्रेटर आदि ।

पर्सनल कम्प्यूटर क्या है ?

पर्सनल कम्प्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए छोटा, अपेक्षाकृत कम खर्चीला डिजाइन किया गया कम्प्यूटर है । यह माइक्रोप्रोसेसर प्रौद्योगिकी पर आधारित है । व्यापर में इसका उपयोग शब्द संसाधन, लेखांकन, डेस्कटॉप प्रकाशन, स्प्रेडशीट तथा डेटाबेस प्रबंधन आदि के लिए होता है । घर में पर्सनल कम्प्यूटर का उपयोग मनोरंजन के लिए, ई-मेल देखने तथा छोटे-छोटे दस्तावेज तैयार करने के लिए होता है ।
पर्सनल कम्प्यूटर के निम्नलिखित मुख्य भाग है :
  • सी पी यू (CPU)
  • हार्ड डिस्क (Hard Disk)
  • सीडी ड्राइव (CD-Drive)
  • फ्लॉपी ड्राइव(Floppy Drive)
  • मॉनिटर (Monitor)
  • माउस (Mouse)
  • की-बोर्ड (Key Board)
  • यू पि एस (UPS)
  • स्पीकर (Speaker)

कम्प्यूटर क्या है ?

कम्प्यूटर गणितीय और अगणितीय क्रियाओं को करने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है । यह आँकड़ों को इनपुट के तौर पर लेता है उन्हें प्रोसेस करता है और आउटपुट के तौर पर अर्थपूर्ण नतीजे प्रदान करता है । हम अपरिपक्व तथ्यों को आँकड़े के रूप में इकट्ठे करते हैं और ये आँकड़े कम्प्यूटर में डाले जाते हैं । कम्प्यूटर इन आँकड़ों को प्रोसेस करके हमें सूचनायें प्रदान करता है ।
अक्सर लोग सोचते हैं कि कम्प्यूटर एक सर्वशक्तिमान सुपरमैन की तरह है परन्तु ऐसा है नहीं । यह केवल एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो तीव्र गति से कार्य करता है और गलती नहीं करता है । इसकी क्षमता सीमित है । यह अंग्रेजी शब्द कम्प्यूट से बना है जिसका अर्थ गणना करना है । हिन्दी में इसे संगणक कहते हैं । इसका उपयोग बहुत सारे सूचनाओं को प्रोसेस करने तथा इकट्टा करने के लिए होता है ।
कम्प्यूटर एक यंत्र है व इसे सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम के अनुसार किसी परिणाम के लिए प्रोसेस करता है । कम्प्यूटर को कृत्रिम बुद्धि की संज्ञा दी गई है । इसकी स्मरण शक्ति मनुष्य की तुलना में उच्च होती है ।

कम्प्यूटर की विशेषताएँ :

  • यह तीव्र गति से कार्य करता है अर्थात समय की बचत होती है ।
  • यह त्रुटिरहित कार्य करता है ।
  • यह स्थायी तथा विशाल भंडारण क्षमता की सुविधा देता है ।
  • यह पूर्व निर्धारित निर्देशों के अनुसार तीव्र निर्णय लेने में सक्षम है ।

कम्प्यूटर के उपयोग :

  • शिक्षा के क्षेत्र में
  • वैज्ञानिक अनुसंधान में
  • रेलवे तथा वायुयान आरक्षण में
  • बैंक में
  • रक्षा में
  • व्यापार में
  • संचार में
  • मनोरंजन में

कम्प्यूटर के कार्य

  1. डेटा संकलन (Data Collection)
  2. डेटा संचयन (Data Storage)
  3. डेटा संसाधन (Data Processing)
  4. डेटा निर्गमन (Data Output)